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जो मुझे जैसा स्थान देता है, मैं भी उसे वैसा ही स्थान देता हूँ ||आचार्य प्रशांत,श्रीमद्‍भगवद्‍गीता पर

2019-11-28 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />९ मार्च २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />श्रीमद्‍भगवद्‍गीता(अध्याय 4 श्लोक 11)<br />ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्‌ ।<br />मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥<br /><br />अर्थ:<br />हे अर्जुन! जो भक्त मुझे जिस प्रकार भजते हैं मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूँ, वास्तव में सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही व्यवहार का अनुसरण करते हैं।<br /><br />प्रसंग:<br />"जो मुझे जैसा स्थान देता है, मैं भी उसे वैसा ही स्थान देता हूँ" ऐसा क्यों कह रहे है कृष्ण ?<br />अष्टावक्र कहते है, मुझे ब्रह्मा के अलावा कुछ नहीं दिखती है | यहाँ "ब्रह्मा" कहने से उनका क्या आशय है?<br />क्या जो हम अस्तित्व में देखते है वही पाते है?

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